कर्म-विभाग-वर्ण-व्यवस्था
पद-परिचय-सोपान कर्म-विभाग-वर्ण-व्यवस्था कर्मों के सात्विक , राजसिक , तामसिक निर्धारण के विचार में , वैदिक कर्मों को जिसमें समस्त अग्नि-होत्र यज्ञ और समाज में शास्त्रों का अध्ययन और उनके समुचित शिक्षण को सात्विक निर्धारित किया जाता है । उपरोक्त समस्त ब्राम्हण-कर्म-विभाग है । समस्त सामाजिक सेवा , रज़स की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाता है । उपरोक्त क्षत्रिय-कर्म-विभाग है । समस्त वित्त-व्यवसाय-वृत्तियाँ जो कि हानि-लाभ से आच्छादित हैं वह वैश्य-कर्म-विभाग हैं । समस्त परीश्रम योगदान जो कि अर्ध-तकनीकी और अशिक्षित दोनों को आच्छादित करती है , तमस के वर्ग में रखे जाते हैं , यह शूद्र-कर्म-विभाग है । ..... क्रमश: