आत्मा-शाश्वत्-तत्व
पद-परिचय-सोपान
आत्मा-शाश्वत्-तत्व असंग-निराकार-निर्विकार आत्मा शाश्वत् तत्व है । माया-कल्पित-जगत् का
प्रत्येक अवयव उपरोक्त कथित आत्म-तत्व की गुणमय अभिव्यक्ति है । गुण मोंह-कारक हैं
। जीव का अहंकार भ्रान्ति है । भ्रान्ति-पोषित-जीव का मस्तिष्क गुणों के मोंह-जाल
में लिप्त है । उपरोक्त कथित गुणों के बन्धन से उबर कर, शाश्वत् तत्व आत्मा पर्यन्त की ज्ञान-यात्रा गूढ है, परन्तु साध्य है, जिसके लिये दृढ-प्रतिज्ञ जिज्ञासु
वाँक्षना है और साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति, मनोनिग्रह, पंचकोष-विवेक पथ
हैं । ..... क्रमश:
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