अर्थापत्ति-प्रमाण


पद-परिचय-सोपान                       
अर्थापत्ति-प्रमाण अर्थापत्ति-प्रमाण-निष्कर्श में, निश्कर्ष साक्षात् पर आधारित होता है, परन्तु वह साक्षात् जिसे घटना अवधि में साक्षात् नहीं किया गया होता है, अपितु घटना के फल के आधार पर निश्कर्ष को आहरित किया जाता है । व्यक्ति सुशुप्ति की निद्रा दशा से जागृत होने पर अपने घर की परिसर में बागवानी, अथवा घर के सामने की सडक पर, एकत्रित अथवा विस्तृत-फैले हुये जल को देख कर निश्कर्ष आहरित करता है कि “रात तेज़ वर्षा हुई है” । उपरोक्त दृष्टान्त में व्यक्ति ने वर्षा का साक्षात् नहीं किया है । परन्तु एकत्रित जल अथवा विस्तृत-फिले हुये जल की स्थिति को देख कर, वह रात में तेज़ वर्षा का निश्कर्ष आहरित करता है । उपरोक्त वर्णित रात में तेज़ वर्षा का निश्कर्ष ऐसे साक्षात् पर आधारित है, जिसे कि सुशुप्ति के कारण वह स्वयं साक्षात्-कर्ता नहीं है, अपितु यदि वह सुशुप्ति की दशा में न होकर जागृत दशा में होता तो वह साक्षात्-कर्ता होता, पर आधारित है । उपरोक्त वर्णित दृष्टान्त का आहरित किया गया निष्कर्श अर्थापत्ति-प्रमाण-निष्कर्श कहा जाता है । ....... क्रमश:

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