चिदाभास
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
चिदाभास
स्थूल-सूक्ष्म-शरीर के अंत:करण में परिलक्षित होने वाला चैतन्य अहंकार है ।
उपाधियुक्त आत्मा जीवात्मा है । आत्मा एक है जो कि निराकार है, असंग है, अनन्त है, सर्व-विभू: है ।
परन्तु अज्ञान के फल से जब उपरोक्त कथित सर्व-विभू: आत्मा को, अहंकार से अलंकृत किसी स्थूल-सूक्ष्म-शरीर विषेस के गुण-धर्मों के साथ
जोडा जाता है, तब जीवात्मा शब्द का प्रादुर्भाव होता है
। शास्त्रों में अहंकार जिसकी परिभाषा उपरोक्त वर्णित है, को चिदाभास शब्द द्वारा व्यक्त किया गया है । ...... क्रमश:
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