ज्ञान-सम्भावना


पद-परिचय-सोपान
ज्ञान-सम्भावना आत्म-ज्ञान की गूढता का साराँश यह है कि, आत्म-ज्ञान का केवल एक पथ है, कि व्यक्ति स्वयं को आत्म-स्वरूप में अनुभव-बोध कर सके, जिसका अभिप्राय है, आत्म-स्वरूप में जीवन-यापन है । इस माया-कल्पित-जगत् के व्यवहार को निरूपित करने वाले शब्द, उपरोक्त वर्णित स्थिति को यथा-स्वरूप व्यक्त करने में अक्षम हैं । वेद भी उपरोक्त स्थिति को केवल इंगित करते हैं । वेद उपदेश भी “अहम् ब्रम्हास्मि” “तत् त्वं असि” जैसी अभिक्तियों द्वारा आत्म-ज्ञान की वृत्ति-बोध कराते हैं । ..... क्रमश:

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