भाष्य-ग्रन्थ


पद-परिचय-सोपान
भाष्य-ग्रन्थ भाष्य-ग्रन्थ भी वेद-मन्त्रों का ही विस्तृत व्याख्या हैं । भाष्य-ग्रन्थों के आश्रय द्वारा ही वेद-मन्त्रों का ज्ञान सम्भव होता है । ज्ञातव्य है कि वेद-मन्त्रों का अर्थ आहरित करने के लिये विद्वानों द्वारा सर्व-सम्मति से नियमावली बनायी गयी है । किसी भी भाष्यकार को भाष्य लिखने में उपरोक्त कथित नियमों की परिधि में ही व्याख्या करनी होती है । विद्वान आचार्य आदि शन्कर ने दस उपनिषदों की व्याख्या की है । पुन: उप-व्याख्याकारों ने उपरोक्त कथित आदिशंकर के भाष्य की व्याख्या की है । पुन: उप-उप-व्याख्याकारों ने उपरोक्त कथित उप-व्याख्याओं की व्याख्या की है । उपरोक्त समस्त उल्लेख से विदित है कि संस्कृत ग्रन्थो की विशाल सम्पदा हम वैदिक-संस्कृत अनुयायियों को उपलब्ध है । ...... क्रमश:  

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