मिथ्या-जगत्


पद-परिचय-सोपान
मिथ्या-जगत् जगत् का अस्तित्व सदैव आत्मा के आश्रय पर है । जगत् अस्तित्वमान है, यह सिद्ध करने के लिये भी जीव के पंच-प्रमाणों की अपेक्षा होती है । अनात्मन जगत् के प्रत्येक अवयव क्रियाकारी भी आत्मा के आश्रय द्वारा होते हैं । उपरोक्त विवरण के अनुसार जगत् आश्रित होने के कारण मिथ्या है । ज्ञातव्य है कि आत्मा, जीव-अनात्मन के प्रसंग में अपने को जीव के चैतन्य के रूप में व्यक्त करता है और जड-प्रपंचों के प्रसंग में अपने को जड के अस्तित्व के रूप में व्यक्त करता है । ..... क्रमश:

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