वर्ण-व्यवस्था
पद-परिचय-सोपान
वर्ण-व्यवस्था यह समाज को, लक्षित पुरुषार्थ की प्राप्ति के लिये, एक आदर्श साधन-युक्त ढाँचा प्रदान करने के उद्देष्य से प्रेरित, वेदों में आदेशित व्यवस्था है । उपरोक्त कथित व्यवस्था के अनुसार चार
वर्ण नामत: ब्राम्हण, क्षत्रीय, वैश्य, सूद्र का निर्धारण किया गया है । विचार की स्वाभाविक प्रक्रिया में, जब भी वर्ग-विभाजन का विचार सम्मुख होता है तो, एक नैसर्गिक प्रश्न उपस्थित हो जाता है कि, विभाजन का आधार क्या है ? मीमांसक विद्वान आचार्य उपरोक्त कथित
विभाजन के तीन सुदृढ नामत: गुण-विभाग, कर्म-विभाग, जाति-विभाग को आधार बताते हैं । उपरोक्त कथित प्रत्येक तीन विभाजन के
आधारों का परिचयात्मक उल्लेख आगे के तीन अंको में प्रस्तुत किया जायेगा । .....
क्रमश:
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