वेद


पद-परिचय-सोपान
वेद यह प्राचीनतम् शास्त्र हैं । इनमें चार विभक्तियां नामत: ऋग-वेद, यजुर्वेद, साम-वेद, अथर्वण-वेद की गई हैं । ऋगवेद श्लोको में है, यजुर्वेद गद्य में है, सामवेद गायन प्रस्तुति है, अथर्वण-वेद मन्त्र प्रस्तुति है । वेदों के गद्य और मन्त्रों के उच्चारण के विशिष्ट स्वर-नाद हैं । वेदों के रचयिता के रूप में नारायण अर्थात् स्वयं ईश्वर को निर्धारित किया जाता हैं । प्राय: बीस हज़ार वेद-मन्त्र हैं । सदियों पर्यन्त वेद का ज्ञान मौखिक परम्परा द्वारा गुरू से शिष्य को संचरित होता रहा है । इसलिये इन्हे श्रुति ग्रन्थ भी कहा जाता है । वेद व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन तथा धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष पुरुषार्थो की रक्षा करते हैं । वेद मन्त्रों के उच्चारण मात्र से मनुष्य रक्षित होता है । भारत की संस्कृति वैदिक-संस्कृति है । ...... क्रमश:

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