उपदेशों का महत्व
पद-परिचय-सोपान
उपदेशों का महत्व साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति, मनोनिग्रह, पंचकोष-विवेक आदि
उपदेश जिनका परिचयात्मक उल्लेख पूर्व के अंको में किया गया है, महत्व-पूर्ण इसलिये हैं, क्योंकि आत्म-ज्ञान न ही उपदेश है, न ही शिक्षण है, अपितु आत्म-ज्ञान आत्म-स्वरूप में
जीवन-यापन है, जो कि साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति, मनोनिग्रह, पंचकोष-विवेक का जीवन-यापन-रूप में
क्रियान्वन है । ज्ञान-स्वरूप ज्ञानी की अभिव्यक्ति होती है, “शिवोहं” “शिवोहं” “शिवोहं”, जो कि शाश्वत् आत्मा के स्वरूप में जीवन की अभिव्यक्ति है । .....
क्रमश:
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