पंच-पौरुषेय-प्रमाण
पद-परिचय-सोपान
पंच-पौरुषेय-प्रमाण वस्तु-रूप-ज्ञान के विचार में व्यक्ति को, (1) प्रत्यक्ष (2) अनुमान (3) अर्थापत्ति (4) उपमान (5) अनुपलब्धि, यह पांच प्रमाण उपलब्ध है । व्यक्ति उपरोक्त प्रमाणों के माध्यम् से ही
समस्त जगत् के वस्तु-रूप-ज्ञान ग्रहण करता है । वस्तु-रूप-ज्ञान प्रक्रिया में, जगत् वस्तु-रूप है, व्यक्ति विषय है । प्रमाता व्यक्ति विषय
है, प्रमेय-जगत् वस्तु है । आत्म-ज्ञान के
विचार में, विषय-आत्मा किसी भी दशा में प्रमेय नहीं
बन सकती है, इसलिये उपरोक्त वर्णित
पंच-पौरुषेय-प्रमाणों द्वारा ज्ञेय नही हो सकती है । ..... क्रमश:
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