वेद-मन्त्र

पद-परिचय-सोपान
वेद-मन्त्र वेद मन्त्रो की व्याख्या, मननात् इति मन्त्र की जाती है । जिसका मनन करने से, व्यक्ति की रक्षा होती है । वेद-मन्त्र सदैव से थे । ऋषि उन महापुरुषों को कहा गया है, जिन्हे वेद-मन्त्रों की, दैवीय-ज्ञान-रूप-अनुभूति हुई है । मन्त्र-वेद अथर्वण के मन्त्रों को मुख्यत: अर्थव्-ऋषि और अंगीरस्-ऋषि ने, ज्ञान हेतु प्रगट किया है । विख्यात सावित्री-मन्त्र जिसे गायत्री-छन्द में गायन किया जाता है, के विदित-कर्ता ऋषि विश्वामित्र हैं । ऋषि अत्यन्तातिक सत्व के धारक होने के फल से किसी मन्त्र विषेस को प्रगट करने में समर्थ हुये हैं । ऋषियों की प्रस्तुति को आधुनिक युग के टी वी प्रसारण, जिसमें प्रसारित होने वाले प्रोग्राम आकाश में विद्यमान रहतें हैं और जिन्हे, टी वी सेट, किसी विषेस फ्रिक्वेन्सी की सेटिंग पर दृष्टिगोचर कराते हैं, से सादृष्य की जाती है । ...... क्रमश:

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