सूत्र-ग्रन्थ
पद-परिचय-सोपान
सूत्र-ग्रन्थ सूत्र अभिव्यक्ति, जो कि ढेर सारे विचारों
को संक्षिप्त सूक्त-रूप में प्रस्तुति को कहा जाता है । सूत्र-ग्रन्थ भी
पूर्व-वर्णित वेद-उपदेश की प्रस्तुति हैं, जिसमें उपदेश का विषय
अ-पौरुषेय हैं, परन्तु इनका संकलन, पुरुषार्थ द्वारा, मानवीय हैं । वेद चूँकि श्रवण परम्परा से सम्भव हो रहे थे, इसलिये उन्हे कण्ठस्थ करने के विचार में, स्वर-नाद-उच्चारण, गायन, और सूत्र-अभिव्यक्ति यह सभी सहायक थे । धर्म-सूत्र
जो कि व्यक्ति विषेस के रक्षक, ग्रस्य-सूत्र जो कि परिवार के रक्षक, और सौत्र-सूत्र जो कि समूचे मानव-समाज के रक्षक हैं । सूत्र ग्रन्थों में, वेद-मन्त्रो को विषय-वार, वर्गीकृत किया गया है और साथ ही जहाँ कहीं भी कोई उपदेशों
की परस्पर विरोधी स्थिति की सम्भावना पायी गई थी, उनका निराकरण भी किया
गया है । पाराशर-सूत्र, गौतम-सूत्र आदि अनेक सूत्र-ग्रन्थ हैं । .....
क्रमश:
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