आश्रय अभिव्यक्ति
शिक्षण-विधि-सोपान आश्रय अभिव्यक्ति आत्मा ज्ञान स्वरूप है । ज्ञान को प्रगट होने के लिये एक अभिव्यंजक की अपेक्षा होती है । ज्ञान की अभिव्यक्ति के लिये विषय की अपेक्षा है । ज्ञाता-ज्ञेय-ज्ञान की त्रिकुटी का उपरोक्त स्वरूप है । उपरोक्त वर्णित त्रिकुटी का ज्ञाता , मनुष्य मात्र ज्ञान की अभिव्यक्ति है । उपरोक्त वर्णित त्रिकुटी का ज्ञेय , विषय मात्र स्थिति की अभिव्यक्ति है । ज्ञाता और ज्ञेय दोनो ज्ञान के आश्रित हैं । इसलिये सापेक्ष हैं । उपरोक्त त्रिकुटी का ज्ञाता और ज्ञेय दोनो का विलय होने पर ही शुद्ध-ज्ञान का साक्षात् सम्भव है । ...... क्रमश: