साधन वर्गीकरण
शिक्षण-विधि-सोपान
साधन वर्गीकरण ब्रम्ह-विचार के लिये प्रतिपादित साधनों का वर्गीकरण किया जाता है ।
वर्गीकरण चार नामत: एक- परम्परा-साधन, दो- वहिरंग-साधन, तीन- अन्तरंग-साधन, चार- साक्षात्-साधन श्रेणियों में किया
जाता है । परम्परा साधनो द्वारा व्यक्ति के मस्तिष्क के मल और विक्षेप का शमन होता
है । वहिरंग-साधनों के द्वारा व्यक्ति का मस्तिष्क ब्रम्ह-विचार के लिये योग्य
पात्र बनता है । अन्तरंग साधन श्रवण-मनन-निबिध्यासन होते हैं । गुरू के सानिध्य
में सतत् श्रुतियों द्वारा निर्धारित परम्परा से श्रवण, मनन, निबिध्यासन से व्यक्ति ब्रम्ह-ज्ञान के
लक्ष्य की साधना करता है । आत्मा-ब्रम्ह-ऐक्यं का भेद साक्षात् साधन कहा जाता है ।
तत् पद और त्वम् पद का स्वच्छ ज्ञान-बोध और दोनो का ऐक्यं बोध यह साक्षात् साधन द्वारा
सम्भव होता है । ...... क्रमश:
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