कर्म का विभाग


शिक्षण-विधि-सोपान
कर्म का विभाग कर्म का विभाग धर्म, उपासना, योग पर्यन्त है । कर्म के फल से गति होती है । पुण्य-कर्म व्यक्ति को स्वर्ग-लोक की प्राप्ति कराते हैं । परन्तु पुण्य क्षीण होने पर वह पुन: स्वर्ग-लोक से मृत्यु-लोक में वापस आता है । उपासना में सूक्ष्म कर्म होता है । योग और समाधि में कर्म का लय होता है । कर्म का आभाव समाधि की अवस्था है । विषय के अभाव से समाधि में शान्ति की अनुभूति होती है । परन्तु विक्षेप के होने पर मस्तिष्क में खलबली मच जाती है । व्यक्ति खोज़ता है, कि हमारी समाधी कहाँ है । इन समस्त विस्तार वाले कर्म के विभाग से अज्ञान की निवृत्ति कंचिद अ-सम्भव है, क्योंकि कर्म का उद्भव अज्ञान से होता है । कर्म का विभाग मस्तिष्क के मल और विक्षेप के निवारण पर्यन्त ही प्रभावी है । ..... क्रमश:

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