बौद्धिक प्रत्यय


शिक्षण-विधि-सोपान
बौद्धिक प्रत्यय जब कभी भी हम काल की नित्यता की कल्पना करते हैं, अथवा आकाश की अखण्डता की कल्पना करते हैं, तो कल्प्य का भी प्रत्यय बनता है । उपरोक्त कथित कल्प्य प्रत्ययों का बौद्धिक प्रत्यक्ष होता है । इन्द्रीय प्रत्यक्ष होता है, मानसिक प्रत्यक्ष होता है, बौद्धिक प्रत्यक्ष होता है । उपरोक्त कथित समस्त तीन प्रत्यक्ष प्रत्यय पर आधारित ही होती है । परन्तु, उपरोक्त कथित कल्प्य देश अथवा कल्प्य काल का अधिष्ठान भी होगा, वह कल्प्य का अधिष्ठान ब्रम्ह होता है । उपरोक्त कथित कल्प्य देश अथवा कल्प्य काल का प्रकाशक आत्मा है । शास्त्र उपदेश करते हैं, कि उपरोक्त कथित कल्प्य का अधिष्ठान और कल्प्य का प्रकाशक, यह दो नहीं हैं, अपितु एक हैं, आत्मा-ब्रम्ह-ऐक्यं उपदेश है । ...... क्रमश:

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