अभिव्यंजक महात्म्य


शिक्षण-विधि-सोपान
अभिव्यंजक महात्म्य शास्त्र पारमार्थिक तत्व ब्रम्ह का उपदेश करते हुये उसे निर्गुण, निराकार, असंग, अनन्त होने का ज्ञान प्रशस्थ करते हैं । कोई भी निराकार, निर्गुण, असंग तत्व को अनुभवगम्य कराने हेतु किसी अभिव्यंजक संस्थान की अपरिहार्य वाँक्षना होती है । उदाहरण, विद्युत निराकार, निर्विकार तत्व है जिसकी अभिव्यक्ति बादल और बल्ब अभिव्यंजक के माध्यम से सम्भव होती है । उपरोक्त उदाहरण के सादृष्य ही मनुष्य की पंचकोषयुक्त शरीर, आत्मा-ब्रम्ह का अभिव्यंजक सन्सथान मात्र है । उपरोक्त तथ्य को जानने के उपरान्त प्रत्येक मनुष्य के पुरुषार्थ का सर्वोच्च लक्ष्य बनता है, कि वह अपने को, उस पारमार्थिक तत्व ब्रम्ह की अभिव्यक्ति के लिये एक उपयुक्त देवालय में पर्णित करना है । ...... क्रमश:

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