जडता प्रधान विचार


शिक्षण-विधि-सोपान
जडता प्रधान विचार लोकव्यवहार का केन्द्र जड-स्थूल-सूक्ष्म-कारण शरीर है । इस शरीर के सम्बन्ध से जनित होने वाले भोग हैं । भोग और व्यसन की वस्तुओं की प्रधानता की महत्ता है । शरीर की मान्यता पर आधारित सम्बन्ध हैं । पत्नी-पुत्र-पिता-माता-मित्र-शत्रु-सगे-पराये व अन्य हैं । वासना और इच्छा की प्रधानता है । मस्तिष्क में कार्य-कारण की प्रधानता है । मस्तिष्क में देश और काल की प्रधानता है । जब तक मस्तिष्क में कार्य-कारण का भाव बना हुआ है, तब तक यह जड जगत् सत्य प्रतीत होता है । देश और काल केवल मन की धारणा है । कार्य-कारण एक मिथ्या आधार है । पारमार्थिक सत्य देश, काल, कार्य-कारण का आधार होते हुये भी उपरोक्त से विलक्षण है । ..... क्रमश:     

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