विषय वस्तु द्वैत
शिक्षण-विधि-सोपान
विषय वस्तु द्वैत जगत् की
व्यक्तदशा में ब्रम्ह ही जगत् के रूप में भासित होता है । भासमानिता का प्रकाशक
आत्मा है । आत्मा और ब्रम्ह एक ही सत्य के दो नाम है । भासित होने वाले जगत् के
नाम-रूप माया कल्पित हैं । आत्मा जीव शरीर के माध्यम से जगत् को प्रकाशित करता है
। जीव भी माया कल्पित है । उपरोक्तानुसार जगत् में, अहंकार पोषित
विषय और जगत् के वस्तु-रूप दोनो ही माया कल्पित हैं । उपरोक्त वर्णित विषय और
वस्तु का द्वैत माया कल्पित है । उपरोक्त अहंकार से पोषित विषय और नामरूप-वस्तु के
सत्यत्व की अनुभूति ही अज्ञान है । आत्म-चैतन्य ही जीव और जगत् दोनो ही रूपों का सत्यत्व
है । माया के विज्ञान से सत्य आवृत्त है । वस्तु का सत्यत्व, उसका अस्तित्व, उसके रूप-नाम से
आवृत्त हैं । जीव का स्वरूप उसके भ्रान्ति अहंकार से आवृत्त है । उपरोक्त वर्णित
आवृत्त सत्य का विमोचन शास्त्र प्रमाण द्वारा सम्भव होता है । ...... क्रमश:
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