निषिद्ध-कर्म


पद-परिचय-सोपान
निषिद्ध-कर्म व्यक्ति के जिस भी कर्म से, अगले किसी भी जीव को क्लेष की प्राप्ति होती है, वह तामसिक-निषिद्ध कर्म है । शास्त्र उपदेश, निषिद्ध कर्मों को, नहीं करने के, आदेश करते है । निषिद्ध पाप-कर्मों के करने से व्यक्ति के संचित-पुण्य क्षीण होते है । व्यक्ति पतन को उन्मुख होता है । ..... क्रमश:

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