मस्तिष्क बन्धन मोक्ष
शिक्षण-विधि-सोपान
मस्तिष्क बन्धन मोक्ष मस्तिष्क की
स्थित ही बन्धन है । मस्तिष्क की स्थित ही मोक्ष है । जो मस्तिष्क जगत् के विषयों
में आसक्त है, वह बन्धन में है । जो मस्तिष्क जगत् के विषयों से मुक्त है, वह मोक्ष है ।
आसक्ति क्या है ? विषय प्रिय है अथवा अप्रिय है, यही आशक्ति है । आत्मा शुद्ध ज्ञान स्वरूप है ।
जो ज्ञान अनात्म से सन्लग्न है, वह अज्ञान है, मोह है, बन्धन है ।
आत्मा ही विषय भी है, आत्मा ही वस्तु भी है । मस्तिष्क की ज्ञान क्षमता इन्द्रीयों के माध्यम से
आहरित वृत्तियों द्वारा है । यह भ्रान्ति का आहरण है । विवेक अपेक्षित है ।
वैराग्य अपेक्षित है । क्यों है ? उपरोक्त वर्णित कारण से है । .... क्रमश:
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें