लय-स्थल उपदेश

माया-कल्पित-जगत्-सोपान
लय-स्थल उपदेश भोक्ता-भोग्यकर्ण-भोज्य का लय स्थल जानने के लिये भोक्ता-भोग्यकर्ण-भोज्य का लय अनिवार्य वाँक्षना है । उपरोक्त कथित भोक्ता का लय हो जाने पर, लय-स्थल का ज्ञान लय-गत-भोक्ता को कैसे सम्भव हो सकता है ? उपरोक्त कथित ज्ञान केवल एक विधि द्वारा सम्भव है, कि कोई विलक्षण सिद्धान्त उपरोक्त लय-स्थल का ज्ञान उपदेश करे, उपरोक्त कथित ज्ञान श्रुतियाँ उपदेश करती हैं । भोक्ता के लय-स्थल का ज्ञान-बोध स्वयं भोक्ता किसी भी परिस्थिति में, किसी भी विधि से नहीं कर सकता है । उपरोक्त कथित ज्ञान सदैव उपदेश के आश्रित है । उपरोक्त समस्त का लय आत्मा में होता है । ...... क्रमशा :   

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