स्वर्ग-मेघ-पृथ्वी-पुरुष-नारी


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
स्वर्ग-मेघ-पृथ्वी-पुरुष-नारी जीव का सूक्ष्म शरीर एक स्थूल-शरीर का त्याग करने के बाद, दूसरी स्थूल-शरीर में स्थापना से पूर्व पांच संस्कारों से गतिमान होता है । उपरोक्त कथित पांच संस्कार का स्थल क्रमश: स्वर्ग, मेघ, पृथ्वी, पुरुष और नारी होता है । स्वर्ग के संस्कार से निर्गत होने पर उसे सोम कहा जाता है । मेघ के संस्कार से निर्गत होने पर उसे वृष्टि कहा जाता है । पृथ्वी के संस्कार से निर्गत होने पर उसे अन्न कहा जाता है । पुरुष के संस्कार से निर्गत होने पर उसे रेत: कहा जाता है । नारी के संस्कार से निर्गत होने पर उसे शिशु कहा जाता है । माया-कल्पित-जगत् के जीव उपरोक्त चक्र के विभिन्न क्रमों से गतिमान होते एक शरीर से दूसरी शरीर धारण करते रहते हैं । ..... क्रमश:  

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