माया का लक्षण आकाश


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
माया का लक्षण आकाश आकाश क्या है ? विद्वान आकाश की परिभाषा करतें हैं, कि जो अवकाश देता है वह आकाश है । अवकाश अर्थात् रहने का स्थान है । आकाश सर्वत्र है । सम्पूर्ण जगत् आकाश में स्थिति है । जीव रहने के लिये घर बनाता है । घर क्या है ? आकाश है । आकाश में ही कुछ दीवारें बना लेता है । दीवारों के ऊपर छत बना लेता है और उसे ही घर कहता है । इन दीवारों के अन्दर और बाहर समस्त आकाश है । आकाश का न ही ओर है, न ही छोर है । यह माया है । जिसका न ओर है, न छोर है । आत्मा के संकल्प मात्र से, आकाश अर्थात् माया उपस्थित हो जाती है । पुन: इसी आकाश से आगे की समस्त सृष्टि यथा वायु-अग्नि-जल-पृथ्वी-औषधय:-अन्नं-प्रजा प्रगट हो जाते है । आकाश, यह माया लोक का प्रथम लक्षण है । ...... क्रमश:

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