निमित्त कौशल माया शक्ति
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
निमित्त कौशल
माया शक्ति ब्रम्ह के संकल्प मात्र से, ब्रम्ह की सृजनात्मक क्षमता जो माया शक्ति के
नाम से विख्यात है, क्रियाशील हो जाती है, जिसके फल से, वर्तमान
अनुभवागम्य मिथ्या माया-कल्पित-जगत्, ब्रम्ह की छाया सृदष्य उपस्थित हो जाता है ।
उपरोक्त वर्णित शास्त्र उपदेश की व्याख्या इस प्रकार है । ब्रम्ह और माया शक्ति
अनिवार्यत: अविभाज्य हैं । शक्ति सदैव शक्ति-श्रोत से अविभाज्य है । आत्म-ब्रम्ह-धारक-जीव
माया-कल्पित-जगत् का चेतन अवयव है, जो कि भोज्य जगत् का भोक्ता है । जीवो में, विवेक-धारक केवल
मनुष्य प्रजाति है । मनुष्य के लिये अपनी आत्मा का ज्ञान-बोध करना, सर्वोच्च
शाश्वत् पुरुषार्थ है । आत्म-ज्ञान ही मोक्ष है । जीवन-मुक्ति है । ....... क्रमश:
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें