नाम-रूप अभिव्यक्ति मात्र


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
नाम-रूप अभिव्यक्ति मात्र अनुभवगम्य माया-कल्पित-जगत् में समस्त व्यक्त जगत् केवल नाम-रूप मात्र हैं । उपरोक्त कथित जगत् की सत्ता निर्गुण-निराकार-अनन्त ब्रम्ह है, यह शास्त्र उपदेश है । उपरोक्त कथित तथ्यात्मक स्थिति में वर्णित सत्ता को, माया-शक्ति आवृत्त करती है, जिसके फल से इस माया-कल्पित-जगत् का जीव नाम-रूप को सत्य अनुभव करता है, यहाँ तक कि सत्ता से अनभिज्ञ रहता है । ...... क्रमश

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