माया-कल्पित-जगत् अनित्य


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
माया-कल्पित-जगत् अनित्य इस जगत् के प्रत्येक अवयव सविकारी हैं अर्थात् परिवर्तन के अधीन हैं । ज्ञातव्य है कि विस्तृत आकाश, और विशाल काल भी इस माया-कल्पित-जगत् के ही अवयव हैं । प्रत्येक व्यक्ति उपरोक्त कथित सविकारी जगत् में सुरक्षा की कामना करता है, परन्तु उसे मिलती नहीं है, क्योंकि परिवर्तनशील जो कुछ भी प्रदान करेगा वह भी सदैव परिवर्तनशील ही हो सकता है । उपरोक्त कथित कारणों से ही प्रत्येक व्यक्ति इस जगत् में अपने को असुरक्षित अनुभव करता है । अपूर्णता किसी भी परिवर्तन द्वारा पूर्ण नहीं बन सकती है, इसलिये ही इस जगत् के किसी भी व्यक्ति को, जगत् के संसर्ग द्वारा कभी भी सन्तुष्टि की स्थिति प्राप्त नहीं हो सकती है । ....... क्रमश: 

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