लय स्थल
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
लय स्थल
स्थूल-सूक्ष्म पंच-महा-भूतानि, तथा त्रिकुटी समस्त पाँच की उत्पत्ति, स्थिति और लय तुरीयं आत्मा में होती है । शास्त्र में उपरोक्त कथित लय
स्थल को परे-आत्मनि सम्बोधित किया गया है । अक्षरम् परे-आत्मनि । क्षर और अक्षर ।
विकारयुक्त क्षर है । निर्विकार अक्षर है । विकारयुक्त माया-कल्पित क्षेत्र है ।
अक्षर पार-लौकिक है । स्थूल-सूक्ष्म पंच-महा-भूतानि, तथा त्रिकुटी यह
माया-कल्पित-लोक की परिधि है । माया-कलिप-लोक की उत्पत्ति आत्मा से है, माया-कल्पित-लोक की स्थिति आत्मा के आश्रय से है, माया-कल्पित-लोक का लय-स्थल आत्मा है । ...... क्रमश:
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