सुशुप्ति काल


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
सुशुप्ति काल मस्तिष्क तीन अवस्थाओं का भोग करता है । जागृत काल, स्वप्न काल, सुशुप्ति काल यह तीन अवधियाँ है, जिनमें मस्तिष्क उपरोक्त कथित तीन अवस्थाओं का भोग करता है । सुशुप्ति काल में जीव की समस्त पांच कर्मेन्द्रियाँ तथा पांच ज्ञानेन्द्रियाँ लय की दशा में रहती हैं । इसलिये सुशुप्ति काल में सभी दस इन्द्रियाँ व्यवहार के लिये उपलब्ध नहीं रहती हैं । सुशुप्ति काल में पंच प्राण कार्यकारी दशा में रहते हैं । मस्तिष्क लय की दशा में रहता है । ...... क्रमश:

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