जीव


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
जीव ज्ञानेन्द्रिया के पीछे अनुभव करने वाला, तथा कर्मेन्द्रियों के पीछे कार्म करने वाला चिदाभास-युक्त चेतन पुरुष जीव है | जीव दृष्टा, स्प्रष्टा, श्रोता, घ्राता तथा रसयिता है । जीव कर्ता है । जीव मनन-कर्ता है । जीव स्मरण कर्ता है । मनुष्य-जीव विवेक कर्ता भी है । जीव अहंकार कर्ता है । जीव धर्म-पुरुषार्थ कर्ता है । जीव अर्थ-पुरुषार्थ कर्ता है । जीव काम-पुरुषार्थ कर्ता है । जीव मोक्ष-पुरुषार्थ कर्ता है । ..... क्रमश: 

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