अन्त:करण लय कारण अवस्था
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
अन्त:करण लय कारण अवस्था सुशुप्ति काल अवधि में, व्यक्ति के मस्तिष्क का चारो प्रभाग, नामत: संकल्प-वृत्ति-प्रभाग अर्थात् मन,
निश्चयात्म-वृत्ति-प्रभाग अर्थात् बुद्धि, चित्त-प्रभाग अर्थात् स्मृति-संचय-स्थल, एवं अहंकार प्रभाग, सभी अ-कार्यकारी दशा में, लय की स्थिति-प्राप्त को होते हैं । उपरोक्त कथित दशा में समस्त
विषेस-ज्ञान, निर्विषेस-ज्ञान में, लय की दशा में अर्थात् समाहित दशा में रहते हैं । उपरोक्त-कथित्
मस्तिष्क की लय की दशा ही कारण-दशा होती है । उपरोक्त कथित विवरण अनुसार, व्यक्ति का जागृत-दशा का मस्तिष्क ही, सुशुप्ति-दशा में, कारण-दशा होता है । उपरोक्त कथित का विलोम अर्थात् व्यक्ति की कारण-दशा
ही पर्णित होकर जागृत-दशा का मस्तिष्क होता है । ज्ञातव्य है कि कारण-शरीर अर्थात्
संचित-कर्म-फल, प्रत्येक व्यक्ति का, प्रत्येक जीव का, भिन्न होता है, इसीलिये प्रत्येक व्यक्ति का मस्तिष्क भिन्न होता है, स्वभाव भिन्न होता है । यह माया-कल्पित-जगत् अति-विलक्षण माया-विज्ञान
का फल है । ....... क्रमश:
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