मस्तिष्क केन्द्र


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
मस्तिष्क केन्द्र मस्तिष्क माया-कल्पित-जगत् का अवयव है । मस्तिष्क में ही चिदाभास चैतन्य प्रतिबिम्बित होता है । चिदाभास चैतन्य ही अहंकार है । अहंकार ही अज्ञान है । उपरोक्त तथ्यों के होते हुये भी, ज्ञान सम्भावना भी मस्तिष्क में ही सम्भव होती है । उपरोक्त वर्णित तथ्यात्मक स्थिति और ज्ञान सम्भावना के कारण ही मस्तिष्क ही केन्द्र है । व्यक्ति को अहंकार जन्म से मिलता है । ज्ञान व्यक्ति को विवेक के सम्बल से तपस द्वारा प्राप्त करने पर ही सम्भव हो सकता है । उपरोक्त वर्णित विवरण से स्पष्ट है कि, ज्ञान प्राप्ति के विचार में मस्तिष्क के संस्कार सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते है । ....... क्रमश:

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