विषय वस्तु आश्रय


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
विषय वस्तु आश्रय भोक्ता जीव और भोज्य जगत् दोनों का आश्रय ब्रम्ह है । भोक्ता जीव और भोज्य जगत् दोनों का लय ब्रम्ह में होता है । भोक्ता जीव और भोज्य जगत् दोनों का सृजन माया शक्ति द्वारा सम्भव हुआ है । जीव प्रतिदिन सुशुप्ति दशा में लय की स्थिति का भोग करता है । यह अद्वैत की स्थिति होती है । इसीलिये आनन्द की स्थिति है । पुन: जागृत दशा की पुनर्स्थापना पर, विषय वस्तु द्वैत और लोकव्यवहार उपस्थित हो जाता है । यह माया-कल्पित-जगत् का स्वरूप है । ....... क्रमश: 

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