मस्तिष्क महिमा


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
मस्तिष्क महिमा व्यक्ति के स्वप्नकाल में, व्यक्ति का मस्तिष्क स्वप्न को प्रक्षेपित करता है । स्वप्न को प्रक्षेपित करने की प्रक्रिया में मस्तिष्क विषय और वस्तु दोनो के रूप में अपने को प्रस्तुत करता है । उपरोक्त कथित स्वप्न का दृष्टा भी अनुभवकर्ता भी मस्तिष्क ही होता है । उपरोक्त कथित स्वप्न दृष्य और अनुभव को मस्तिष्क बिना किसी इन्द्री के अवलम्ब के सीधे अपनी शक्ति द्वारा ग्रहण करता है । स्वप्न-दृष्यों की सीमा, जागृत दशा के अवधि में देखे गये दृष्य होते हैं । उपरोक्त वर्णित परिसीमन में प्रयुक्त शब्द “दृष्य” को सर्व पांच ज्ञानेन्द्री के विषय के रूप में ग्रहण करना अपेक्षित है । ....... क्रमश: 

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