मस्तिष्क ही त्रिकुटी
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
मस्तिष्क ही त्रिकुटी स्वप्न-काल में मस्तिष्क, मस्तिष्क में संचित वासना वृत्तियों को, स्वयं प्रक्षेपित भी करता है, प्रक्षेपित वृत्तियों को स्वयं ही अनुभव
भी करता है । स्मरणीय है कि स्वप्न-काल में इन्द्रियाँ लय की दशा में होती है, इसलिये मस्तिष्क की स्वप्न-काल की अनुभूतियाँ स्वयं अपने द्वारा, जो कि इन्द्रीय प्रत्यक्ष से नहीं है, होती हैं ।
उपरोक्त वर्णन के अनुसार, स्वप्न-काल में मस्तिष्क स्वयं ही
प्रमाता-प्रमाण-प्रमेय तीनो होता है । ...... क्रमश:
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