हिरण्यगर्भ श्रेष्ठतम् देवता
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
हिरण्यगर्भ श्रेष्ठतम् देवता समष्टि सूक्ष्म शरीर का चैतन्य तत्व ब्रम्ह के साथ विचार हिरण्यगर्भ
देवता हैं । देवत्व अचेतन में सम्भव नहीं हो सकता है । सूक्ष्म शरीर भी अचेतन
सूक्ष्म पंच महाभूतों से ही निर्मित होती है । चैतन्य सिद्धान्त की व्याप्ति से ही
वह हिरण्यगर्भ है । व्यष्टि जीव शरीर में भी हिरण्यगर्भ ही प्राण के रूप में
अनुभूत होते हैं । जीव तब तक ही जीव है जब तक उसमें प्राण है । समस्त जड-प्रपंचों
और चेतन-प्रपचों का आश्रय हिरण्यगर्भ ही हैं । इस रूप में हिरण्यगर्भ श्रेष्ठतम्
देवता हैं । ...... क्रमश:
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