प्राण—श्रेष्ठतम्


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
प्राण—श्रेष्ठतम् सत्तरह सिद्धान्त नामत: पंच ज्ञान इन्द्रियम्, पंच कर्मेन्द्रियम्, पंच प्राण, मन व बुद्धि के विद्यमान होने से ही जीव है अन्यथा केवल स्थूल काया तो अचेतन है । प्राण से ही प्राणी नाम है । उपरोक्त वर्णित सत्तरह सिद्धान्तों में से भी, जब व्यक्ति सुशुप्ति अवस्था में होता है, पंच ज्ञान इन्द्रियम्, पंच कर्मेन्द्रियम्, मन तथा बुद्धि यहाँ तक कि चित्त और अहंकार भी लय की दशा में रहते हैं, परन्तु प्राण कार्यकारी दशा में रहता है । उपरोक्त वर्णित स्थिति प्राण की श्रेष्ठता का ज्ञोतक है । ...... क्रमश: 

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