मिथुनम् विशिष्ट दृष्टिकोण
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
मिथुनम् विशिष्ट दृष्टिकोण द्वन्द उन्हे कहा गया है जो विपरीत स्वभाव के हैं । मिथुनम् उन्हे कहा
गया है जो विपरीत स्वभाव के हैं परन्तु फिरभी दोनो मिलकर एक पूर्ण हैं । द्वन्द की
अभिव्यक्ति से राग और द्वेष का प्रादुर्भाव सम्भव होता है । मिथुनम् व्यापक
ग्राह्यता का अधिष्ठान है । उपरोक्त कथन को एक उदाहरण द्वारा ग्राह्य कराने की
चेष्टा है । जन्म और मृत्यु एक द्वन्द के रूप में विचार करने पर, प्रत्येक को जन्म से राग और मृत्यु से द्वेष के भाव की अनुभूति होती है
। जन्म और मृत्यु को एक मिथुनम् के रूप में विचार करने पर, दोनो को मिला कर एक पूर्ण जीवन की अनुभूति सृजित होती है । अर्थात् जन्म
पूर्ण जीवन नहीं है मात्र जीवन का एक अंश भाग है । उसी प्रकार मृत्यु पूर्ण जीवन
नहीं है, अपितु जीवन के एक अंश भाग को कहा गया है
। मिथुनम् व्यक्ति की ग्राह्यता क्षमता का विस्तार है । जिस प्रकार जन्म एक अवसर
मात्र है, उसी प्रकार मृत्यु भी एक अवसर मात्र है ।
..... क्रमश:
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