अन्न-सृष्टि
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
अन्न-सृष्टि प्रजापति ही अन्न रूप में हैं । शास्त्र अन्न में रयि-प्राण विभाजन का
उपदेश नहीं करते हैं । अन्न पर्णित होकर शुक्र और शोणित बनता है । उपरोक्त वर्णित
शुक्र-शोणित रूप बीज से प्रजा की उत्पत्ति होती है । इस प्रकार माया-कल्पित-जगत्
का सृजन हिरण्यगर्भ के माध्यम् से मिथुनम्-लोक-काल-अन्नम्-रेतस-प्रजा क्रम में
सम्भव होती है । उपरोक्त वर्णित समस्त लोक, काल, अन्न, रेतस, प्रजा सभी प्रत्येक हिरण्यगर्भ हैं ।
..... क्रमश:
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