प्राण आगमन निर्गमन
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
प्राण आगमन निर्गमन प्राण का जीव शरीर में प्रवेष और निर्गमन पूर्णतया जीव के संचित
कर्मफलों से निर्धारित होता है । स्थूल शरीर के मध्य प्राण जीवन शक्ति पोषित करते
हुये शरीर से असम्बद्ध ही रहता है । व्यक्ति के संचित कर्म-फल उसे ऐसे ढूड लेते
हैं, जिस प्रकार एक लाख गौ के मध्य गाय का
बछडा अपनी माँ गौ को ढूड लेता है । ...... क्रमश:
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