पारमार्थिक निर्पेक्ष


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
पारमार्थिक निर्पेक्ष पारमार्थिक सत्य आत्मा निर्पेक्ष सत्य है । आत्मा के आश्रय से समस्त जगत् है । सत्य भी अ-निर्वचनीय है, माया भी अ-निर्वचनीय है । परन्तु उपरोक्त कथित अ-निर्वचनीयता की समता के होते हुये भी, माया क्षेत्र सविकार होने से सापेक्ष है जबकि आत्मा निर्पेक्ष है । व्यष्टि स्तर पर प्राण और समष्टि स्तर पर हिरण्यगर्भ पर्यन्त सविकार माया क्षेत्र:  है । ..... क्रमश

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