जीवन पोषक देवता


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
जीवन पोषक देवता चौबीस सिद्धान्त नामत: पंच-महाभूत, पंच-ज्ञानेन्द्र्याँ, पंच-कर्मेन्द्रियाँ, पंच-प्राण, मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार मिलकर ही एक व्यक्ति का जीवन पोषित करते हैं । सिद्धान्त एक वस्तु नाम से भिन्न इसलिये होते हैं, क्योंकि एक अंग यथा हाथ विशेष केवल हांथ की क्रिया करने वाला अंग है जबकि जब कि सिद्धान्त के रूप में वह उन समस्त अवयवों का समायोजन करता है जो कि उसे क्रियाकारी क्षमता प्रदान करते हैं और उसकी क्रियाकरी क्षमता को स्थिर रखते हैं । उपरोक्त वर्णित विवरण के आधार पर ही शास्त्रों में प्रत्येक सिद्धान्त को देवता शब्द के साथ नामित करते हैं । ...... क्रमश: 

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