देवता की धारणा
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
देवता की धारणा सामान्य अनुभव के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति सूर्य को
एक प्रकाशित अग्नि पिण्ड के रूप में जानता है । परन्तु सूर्य मात्र अग्नि पिण्ड
नहीं है । सूर्य एक सिद्धान्त है जो कि समस्त जड-प्रपंच और जीव-प्रपंच को जीवन
शक्ति अर्थात् प्राण शक्ति का पोषण कर रहा है । ज्ञातव्य है कि कोई भी सिद्धान्त
जड द्वारा संचालित नहीं हो सकता है । इसलिये सूर्य सिद्धान्त चैतन्य आत्मा के
आश्रय से ही क्रियान्वित हो रहा है । उपरोक्त कथित आत्म-चैतन्य से समर्थित
जड-सूर्य-पिण्ड ही सूर्य-देवता हैं । उपरोक्त विवरण के अनुसार ही अन्य समस्त देवता
यथा चन्द्र-देवता, इन्द्र-देवता आदि विख्यात हैं । ..... क्रमश:
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