ईष्ट कर्म
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
ईष्ट कर्म
यज्ञ कर्म, अग्नि-होत्र-कर्म, तप:, सत्यम् ब्रत का पालन, वेद आदेशों का पालन, अतिथि का सत्कार करने वाला, वैश्वदेव यज्ञ कर्म करने को ईष्ट कर्म कहा जाता है । ईष्ट कर्म करने का
फल स्वर्ग-लोक की प्राप्ति बताया गया है । ईष्ट कर्म करने वाला व्यक्ति की मृत्यु
की दशा में उस व्यक्ति की सूक्ष्म शरीर कृष्ण गति द्वारा चन्द्र-लोक जिसे
स्वर्ग-लोक भी कहा जाता है को जाता है । ....... क्रमश:
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