रयि प्राण प्रजापति

माया-कल्पित-जगत्-सोपान
रयि प्राण प्रजापति रयि हिरण्यगर्भ की उत्पत्ति है इसलिये रयि हिरण्यगर्भ ही है । प्राण हिरण्यगर्भ की उत्पत्ति है इसलिये हिरण्यगर्भ ही है । हिरण्यगर्भ ही सर्वस्य है इसलिये रयि ही सर्वस्य है । सर्वस्य व्यक्त रयि है । सर्वस्य अव्यक्त प्राण है । व्यक्त स्थूल है । अ-व्यक्त सूक्ष्म है । फिरभी लोकव्यवहार के लिये सर्वस्य व्यक्त को रयि कहा गया है और सर्वस्य अव्यक्त को प्राण कहा गया है । सर्वस्य व्यक्त विराट-देवता हैं, सर्वस्य-अ-व्यक्त हिरण्यगर्भ-देवता हैं । व्यक्त अर्थात् विराट कर्म का प्रतिनिधित्व व्यक्त करने वाला है । प्राण अर्थात् कर्म के लिये वाँक्षित उर्जा अर्थात् कर्म-शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाला है । वास्तव में रयि और प्राण का भेद केवल व्यवहार में प्रयोग हेतु है । रयि और प्राण दोनो ही हिरण्यगर्भ हैं । इसलिये सर्वस्य रयि है । सर्वस्य प्राण है । ....... क्रमश: 

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