संवत्सर सर्वोच्च


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
संवत्सर सर्वोच्च काल के विचार में संवतसर सर्वोच्च माप है । पुन: छोटे मापो के रूप में अयनं, ऋतुयें, मास, दिवस आदि हैं । बडे माप के लिये संवतसर के गुणित का प्रयोग किया जाता है । संवतसर को शास्त्रो में हिरण्यगर्भ कहा गया है । स्मरणीय एवं ज्ञातव्य है कि काल की अनुभूति का आधार, सूर्य और चन्द्र की गति है, और सूर्य तथा चन्द्र स्वयं हिरण्यगर्भ की ही रयि-प्राण रूप में अभिव्यक्तियाँ हैं । उपरोक्त कथित समस्त की एकीकृत अभिव्यक्ति है, हिरण्यगर्भ ही काल हैं । यह माया-कल्पित-जगत् के आधारभूत अवयवों का तीसरा चरण है । पहला चरण मिथुन, दूसरा चरण लोक का पूर्व में उल्लेख किया गया है । ..... क्रमश:

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