चन्द्र-सृष्टि और सूर्य-सृष्टि
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
चन्द्र-सृष्टि और सूर्य-सृष्टि सूर्य-चन्द्र यह लोक-सृष्टि के प्रथम
मिथुनम् हैं । स्मरणीय है कि, पंच-स्तरीय हिरण्यगर्भीय सृष्टि प्रक्रिया
में, लोक-सृष्टि द्वितीय स्तर है । पूर्व वर्णित मिथुथनम् ही, हिरण्यगर्भीय माया-कल्पित-लोक के प्रत्येक स्तर में व्याप्त व्यवस्था है
। चन्द्रमा स्वर्ग-लोक का प्रतिनिधित्व करता है । सूर्य ब्रम्ह-लोक का
प्रतिनिधित्व करता है । उपरोक्त कथित पद्धति, शास्त्रो में शिक्षण की सर्वमान्य पद्धति है । स्वर्गलोक कर्म की उपलब्धि सीमा है । ब्रम्हलोक उपासन की
उपलब्धि सीमा है । ज्ञान उपरोक्त कथित दोनो से विलक्षण है । हिरण्यगर्भ पर्यन्त
प्रत्येक माया-कल्पित-जगत् का अवयव जीवन-मृत्यु के चक्र में है, काल से आच्छादित है । ...... क्रमश:
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