रयि-प्राण

माया-कल्पित-जगत्-सोपान
रयि-प्राण यह दो नाम मात्र लोक-व्यवहार के लिये हैं । उपरोक्त दोनो नामों का सत्यत्व हिरण्यगर्भ हैं । हिरण्यगर्भ ने अपने को रयि और प्राण के रूप में प्रगट किया है । उपरोक्त अभिव्यक्ति को ग्राह्य कराने हेतु वाष्प, बर्फ का दृष्टान्त दिया जाता है । वाष्प और बर्फ दोनो की ही वास्तविकता जल ही है । वाष्प और बर्फ व्यवहार के लिये, दो अलग स्थितियों को व्यक्त करने के लिये, दो भिन्न नाम मात्र हैं । उपरोक्त दृष्टान्त के दो नामों की सत्यता जल है । उपरोक्त दृष्टान्त सदृष्य ही, रयि और प्राण दोनो की ही सत्यता, हिरण्यगर्भ ही हैं । ...... क्रमश

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