पाँच-स्तरीय-जगत्
माया-कल्पित-जगत्-सोपान
पाँच-स्तरीय-जगत् हिरण्यगर्भ, ईश्वर के मन:-संकल्प को साकार-रूप प्रदान
करने का लक्ष्य मस्तिष्क में धारण कर, तप करते हैं । उपरोक्त कथित तप की
प्रक्रिया में, उनके सम्मुख कारण-अवस्था में समस्त जीवों
कें संचित कर्म-फलों का भण्डार है, विगत् सृष्टि की उत्पत्ति प्रक्रिया का
दृष्टान्त है, सृष्टि-प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाली
शक्तियों और उनके नियन्त्रक देवताओं का समूह है, और हिरण्यगर्भ को
तपोबल द्वारा उपरोक्त समस्त के प्रयोग द्वारा एक ऐसे जगत् का सृजन करना लक्ष्य है
जिसमें उपरोक्त कथित समस्त संचित-कर्म-फलों का न्याय-पूर्ण भोग सम्भव हो सकता है ।
उपनिषद व्यक्त करते हैं कि हिरण्यगर्भ ने तप द्वारा उपरोक्त वर्णित जगत् की मानसिक
कल्पना सृजित किया है, पुन: उस मानसिक योजित जगत् का प्रक्षेपण
अद्भुद् विज्ञान के पथ से सफलता पूर्वक किया है, जो कि पंच-स्तरीय
नामत: मिथुन-सृष्टि, लोक-सृष्टि, काल-सृष्टि, अन्न-सृष्टि, प्रजा-सृष्टि है । ...... क्रमश:
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